घन तमी शुक्र बघ राज्य करी
घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी ई ई
घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी ई ई
रे खिन्न मना बघ जरा आ आ आ तरी ई ई
घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी ई ई
ये बाहेरी अंडे फोडुनि
ये बाहेरी अंडे फोडुनि
शुद्ध मोकळ्या आ आ आ वातावरणीं
का गुदमरशी आतच कुढुनी ई ई
रे मार भरारी जरा आ आ आ वरी ई ई
घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी ई ई
रे खिन्न मना बघ जरा आ आ आ तरी ई ई
घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी ई ई
The Ray of Revelation
Look up 'O' despondent soul,
Behold how 'Shukra' Star;
Rules in the midst of dark night;
Smiles in the sky to ignite. ||1||
Break your shell and burgeon.
Let your spirit soar,
Why you smother inside,
All gloomy and dour? |2||
This is an English interpretation of popular Marathi Poem by B. R. Tambe. Interpretation by Suresh Dike & Sarita Deshpande. Read the rest of the poem on the ISW Website